मत कसम दो मुझे अपनी
बिन तुम्हारे क्या है मेरा
मत भरो उर पीर से तुम
है वहाँ मेरा बसेरा।
दर्द की अनगूँज आहें
दौड़ती हर साँस में
तुम बढ़ा कर अपनी बाँहें
बाँध लो बाहुपाश में
साथ आने दो हमें तुम
नेह का है स्नेह मेरा
मत भरो उर पीर से तुम
है वहाँ मेरा बसेरा।
किंचित भी गर मुँह मोड़ लोगे
तो कहाँ जाऊँ बताओ?
बँध गया जब प्रीत बंधन
कैसे तोड़ूँ तुम बताओ?
तोड़ तुम मत नीड़ देना
सपनों का संसार मेरा
मत भरो उर पीर से तुम
है वहाँ मेरा बसेरा।
प्रेम की कोमल छुवन से
जग गए अहसास सारे
प्रेम की स्नेहिल तपिश से
पिघलते हैं दर्द सारे
ख्वाब पलकों पर सजे हैं
अश्रु किसने है बिखेरा?
मत भरो उर पीर से तुम
है वहाँ मेरा बसेरा।
नियति ने है क्या लिखा
ये तो नहीं मैं जानती।
प्रेम की परिकल्पना में
ही तुम्हें मैं मानती।
रंग भरी इस अल्पना को
आह किसने है बिखेरा
मत भरो उर पीर से तुम
है वहाँ मेरा बसेरा।
बँध गया जब प्रेम बंधन
जिंदगी की राह में
छूट जाए जग ये सारा
अब तुम्हारी चाह में
प्रेम शाश्वत है ये मेरा
रात के संग ज्यों सबेरा
मत भरा उर पीर से तुम
है वहाँ मेरा बसेरा।